भरतपुर के 1700 परिवार करते हैं हथकढ़ शराब बनाने और बेचने का काम

Jan 20, 2021 - 04:06
Jan 20, 2021 - 04:15
भरतपुर के 1700 परिवार करते हैं हथकढ़ शराब बनाने और बेचने का काम

रूपवास, बंशी पहाड़पुर, विलानचट्टपुरा, नगर, पहाड़ी, कुम्हेर और कामां समेत जिले में करीब 1700 परिवार हथकढ़ (कच्ची) शराब के अवैध कारोबार से जुड़े हैं। यह आंकड़ा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा कराए सर्वे पर आधारित है। कंजर, सांसी, भाट, भांड, नट, राणा, डोम, ढोली, मोडिया, बाबरिया, बेडिया, बागरिया, सिरकीवाला और चौबदार समुदायों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में नवजीवन योजना लागू की थी। इसके लिए वर्ष 2014-15 योजना को चलाने के लिए संचालन नियम भी जिला प्रशासन को भेज दिए गए थे।

लेकिन, सरकार की सुस्त चाल का हाल देखिए कि शुरू के 3 साल तो आबकारी विभाग इसे लेकर बैठा रहा। बाद में यह स्कीम सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को ट्रांसफर कर दी। पिछले 5 साल में जन भागीरथ सेवा संस्थान और पीपुल रिफॉर्म एसोसिएशन के माध्यम से केवल इस कारोबार से जुड़े परिवारों का सर्वे ही करवा पाया है। इस योजना का लाभ आज तक एक भी परिवार को नहीं मिला है। यह हाल तो तब है जब योजना में जिला स्तरीय समिति की हर 3 माह में बैठक करने का प्रावधान है।

उल्लेखनीय है कि इस समाज विरोधी कार्य की वजह से हर साल अनेक लोगों की जानें चली जाती हैं। कई परिवार बर्बाद हो जाते है। हाल ही रूपवास के चक सामरी और घाटोली में 8 लोगों की जानें गई हैं। जबकि इससे पहले कामां में भी 2 लोगों की जान जा चुकी है। सरकार को मुआवजे के तौर पर रूपवास के मृतक आश्रितों को 2-2 लाख और पीड़ितों को 50-50 हजार रुपए देने पड़े हैं। हालांकि इस शराब कांड से जुड़े कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।

ढिलाई के लिए ये हैं जिम्मेदार
योजना लागू करने कलेक्टर की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति गठित है। इसमें एसपी, संबंधित क्षेत्रों के विधायक, मेयर, नपा चेयरमैन, पंस प्रधान, सीईओ जिला परिषद, सीएमएचओ, जिला उद्योग केंद्र महाप्रबंधक, जिला शिक्षा अधिकारी, जिला आबकारी अधिकारी, जिला श्रम अधिकारी, लीड बैंक ऑफिसर, केंद्रीय सहकारी बैंक व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारी।

चयनित परिवारों से ऐसे छुड़वाना है शराब का अवैध कारोबार
कारोबार से जुड़े बच्चों को आऱटीई के तहत स्कूलों में प्रवेश दिया जाएगा। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को 2000 रुपए मासिक परिवहन भत्ता और छात्रवृत्ति के साथ प्रतियोगी परीक्षाएं जैसे पीएमटी, पीईटी, एमबीए, बीसीए, एमसीए आदि की तैयारी करवाना। फीस की 60% राशि बतौर अनुदान मिलेगी। कारोबार से जुड़े चयनित लोगों को 3 ऐसे ट्रेड में प्रशिक्षण दिलवाना, जिसकी बाजार में अच्छी डिमांड और अच्छी आमदनी का जरिया हो। प्रशिक्षण के बाद स्वरोजगार के लिए बैंक से 1 से 4% ब्याज दर पर 5 लाख तक का ऋण दिलाया जाएगा। इसमेें लाभार्थी को 50,000 का अनुदान मिलेगा।

सरकार ने ही ठंडे बस्ते में डाल दी थी योजना
^शराब कारोबार में लगे परिवारों के पुनर्वास के लिए योजना 2011 में लागू हुई। शुरू में इसका प्रचार हुआ। बाद में सरकार ने ही इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। हमारे पास यह स्कीम वर्ष 2014-15 में आई। इसके बाद हमने एनजीओ के माध्यम से इस कारोबार से जुड़े परिवारों का सर्वे कराया है। अब इन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा। इनके बच्चों की बेहतर शिक्षा-दीक्षा के साथ ही स्वरोजगार प्रशिक्षण के साथ ही कम ब्याज दर पर लोन भी दिलाया जाएगा।
- पूरन सिंह, उप निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग