पथरीली जमीन पर पपीते की खेती: धौलपुर के ऐसे बीहड़ क्षेत्र जहां नहीं होती थी खेती,लगा दिए 600 पौधे,हर सीजन में 2 लाख रुपए की कमाई

Aug 17, 2021 - 07:31
Aug 17, 2021 - 07:37
पथरीली जमीन पर पपीते की खेती: धौलपुर के ऐसे बीहड़ क्षेत्र जहां नहीं होती थी खेती,लगा दिए 600 पौधे,हर सीजन में 2 लाख रुपए की कमाई
पौधे लगाता किसान व सहायक कृषि अधिकारी।

धौलपुर जिले के 133 किलोमीटर के बीहडी डांग क्षेत्र अब तक केवल डकैतों के लिए ही जाना जाता था। लेकिन अब यह पपीते की खेती के लिए के लिए भी जाना जाएगा। किसान जगदीश सिकरवार ने अपने एक बीघा खेत में 600 पपीते के पौधे लगाए है।। जंगली क्षेत्र होने के कारण किसान को एक बीघा खेत तैयार करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। समतल क्षेत्र नहीं होने के कारण अब तक यहां किसी ने खेती नहीं की हैं। यह पहला मौका है जब बीहड़

क्षेत्र में खेती की गई। इसके लिए किसान को स्वाधीनता दिवस समारोह में किसान को सम्मानित किया गया। सरमथुरा उपखंड अधिकारी ने किसान जगदीश सिकरवार को सम्मानित करते हुए दूसरे किसानों को भी पपीते की पैदावार करने के लिए प्रेरित किया।

दिसंबर के अंत तक पककर होंगे तैयार

सरमथुरा के सहायक कृषि अधिकारी पिंटू लाल मीणा ने बताया कि धौलपुर के डांग क्षेत्र की मिट्टी पपीते के पौधे के लिए उपयुक्त मानी गई। जिसके बाद बड़ा गांव के किसान जगदीश सिकरवार को खेती करने के लिए प्रेरित किया गया। कृषि विभाग की देखरेख में किसान ने 30 मार्च को एक बीघा खेत में पपीते के पौधे लगाए गए।मीणा ने बताया कि सभी पौधों में फल आ चुके हैं जो दिसंबर माह के अंत तक पककर तैयार हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि एक पौधे से तकरीबन 50 किलो पपीता तैयार होगा। धौलपुर में लगाए बाग से प्रति सीजन 300 विंक्टल पपीते की खेप बाजार में लाई जाएगी। जिसे कृषि मंडी में 7 रुपए किलो के हिसाब से भी बेचा जाएगा तो किसान को 2 लाख 10 हजार रुपए प्रति सीजन आय होगी। अब यहां उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से पपीते की खरीद नहीं करनी पड़ेगी।

ग्रीन बेरी वैरायटी के पौधों को खरीदकर रोपा

उन्होंने बताया कि धौलपुर में शुरू की गई नवाचार के लिए लखनऊ से 25 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से ग्रीन बेरी वैरायटी के पौधों को खरीदकर रोपा गया था। जिनमें कीटनाशक दवा को मिलाकर पहले सीजन में 45 हजार रुपए का खर्चा किसान को आया है।

3 से 5 साल तक फल देगा पपीते का पौधा

सहायक कृषि अधिकारी पिंटू लाल मीणा ने बताया कि एक पपीते के पौधे की उम्र 3 से 5 वर्ष तक होती है। धौलपुर में लगाए गए पौधों से किसान को 4 साल तक लगातार आय मिलती रहेगी। जिनमें किसान तो सिर्फ 20 हजार रुपए प्रति सीजन पेड़ों के रख-रखाव में खर्च करना पड़ेगा।

क्या है डांग क्षेत्र
धौलपुर जिले में तकरीबन 133 किलोमीटर का बीहडी डांग क्षेत्र है। जिस जगह पर पपीते का बाग लगाया गया है। यह एक पथरीली इलाके का क्षेत्र माना जाता है। जहां किसी भी फसल या फल के लिए एक सी जमीन कहीं भी नहीं मिलती। जंगली क्षेत्र होने की वजह से यहां दूर-दूर तक हरियाली भी नजर नहीं आती। अभी तक धौलपुर का डांग क्षेत्र सिर्फ डकैतों के लिए जाना जाता था। लेकिन किसान अशोक सिकरवार और कृषि विभाग के प्रयासों की वजह से इस डांग क्षेत्र में अब पपीते की मिठास घुलने लगी है।