ऑक्सफेम की रिपोर्ट देश में 8 करोड़ महिलाएं यौन उत्पीड़न का सामना कर रहीं, हर बेटी की सुरक्षा के लिए 102 रुपए ही मिल रहे

Feb 12, 2021 - 05:17
Feb 12, 2021 - 05:30
ऑक्सफेम की रिपोर्ट देश में 8 करोड़ महिलाएं यौन उत्पीड़न का सामना कर रहीं, हर बेटी की सुरक्षा के लिए 102 रुपए ही मिल रहे

देश को हिला देने वाले निर्भया दुष्कर्म मामले को बीते भले ही एक दशक गुजर रहा हो, पर महिला सुरक्षा को लेकर समग्रता में इंतजामों पर खर्च की हालत चिंताजनक है। ये दावा वैश्विक विश्लेषण संस्था ऑक्सफेम ने किया है। संस्था की ताजा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में चलती बस में हुई उस खौफनाक घटना के बाद हेल्पलाइन, क्राइसिस सेंटर से लेकर निर्भया फंड भी बना।

इन कदमों के बाद भी देश में हर 15 मिनट में एक बेटी दुष्कर्म का शिकार हो रही है। संस्था में जेंडर जस्टिस की विशेषज्ञ प्रमुख अमिता पित्रे ने बताया कि भारत में बीते तीन सालों से प्रति महिला सुरक्षा पर औसतन 30 रुपए ही खर्च किए जा रहे हैं। करीब 8 करोड़ महिलाएं या बेटियां यौन हिंसा का सामना कर रही हैं। उनकी सुरक्षा के लिए प्रति महिला महज 102 रुपए ही मिल रहे हैं। ये राशि नाकाफी है।

कोरोना महामारी के चलते देश में महिलाओं के साथ हिंसा और बेरोजगारी के मामले बढ़ गए। इसके बावजूद महिलाओं को लेकर सरकार ने साल 2021-22 के बजट में मामूली बढ़ोतरी की। सरकार ने सालों पहले निर्भया फंड जरूर बनाया था, ये फंड देश की 130 करोड़ में से आधी आबादी के लिए कम है। इससे दुष्कर्म पर रोकने का मकसद पूरा नहीं हो सका। कोष से आवंटित पैसों को राज्यों ने फोरेंसिक लैब को बेहतर बनाने, आपात प्रतिक्रिया सेवा में सुधार में लगाया, पर महिलाओं को खास फायदा नहीं हुआ।

महिलाओं के लिए 600 वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर, आश्रय केंद्र बेहद कम
सरकारी अपराध डेटा के मुताबिक देश में 2018 में दुष्कर्म के 34 हजार मामले दर्ज हुए। इसके पहले साल में भी इतने ही मामले सामने आए थे। इन मामलों में 85% पर आरोप तय हुए। महज 27% में सजा हुई। देश में अभी महिलाओं की त्वरित मदद के लिए 600 वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर काम कर रहे हैं।

एसोसिएशन ऑफ एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव के कार्यकारी निदेशक रेणु मिश्रा कहती हैं कि पीड़ित महिलाओं को थोड़े समय के लिए ठहराने के केंद्र बेहद कम हैं। ऐसे केंद्रों की जरूरत वाली महिलाओं की संख्या हजारों में हैं।