20 साल बाद सिंगल सॉन्ग के साथ लौटीं सुनिधि चौहान, बोलीं- स्टूडियो में पहला गाना गाने के बाद बुखार आ गया था

May 3, 2021 - 05:15
May 3, 2021 - 05:32
20 साल बाद सिंगल सॉन्ग के साथ लौटीं सुनिधि चौहान, बोलीं- स्टूडियो में पहला गाना गाने के बाद बुखार आ गया था

बीस साल बाद सुनिधि चौहान सोलो सिंगल साॉन्ग 'ये रंजिशें' लेकर आई हैं। इस तरह आगे भी वे सिंगल लाने के प्रयास में हैं। सिंगल सहित उन्होंने पहली बार स्टूडियो में गाने का अनुभव, इंडस्ट्री में टेक्नोलॉजी से प्रभावित क्रिएटिविटी आदि पर खुलकर बात की। पढ़िए, बातचीत का प्रमुख अंश:

  • बीस साल बाद सोलो सिंगल, आखिर इतनी देर क्यों?

सुनिधि- मैं चाहती तो नहीं थी कि इतनी देर हो, पर हो गई। बहुत सारी चीजें थीं, जिन्होंने मुझे बिजी रखा। लॉकडाउन में बहुत सारी जिंदगियां रुक गईं और काफी नुकसान भी हुआ। अपनी बात करूं तो खुद के लिए और यह समझने के लिए काफी वक्त मिला कि मुझे आगे और क्या-क्या करना है। कभी-कभी यह भी मन करता है कि ऐसा कुछ किया जाए। आर्ट में बोरियत न हो, इसलिए दूसरी नांव में पांव रखने का मन करता है। बस, वही हुआ। थैंक फुली, सही टाइम पर मेरी मुलाकात गौरवदास गुप्ता से हुई और उन्होंने म्यूजिक कंपोजर श्रुति राणे से मिलवाया। इस तरह ये रंजिशें… रिकॉर्ड किया और वीडियो शूट करके सोशल मीडिया पर रिलीज किया गया। यह रोमांटिक गाना है, पर बहुत डेप्थ वाला गाना है। इसकी डीप मीनिंग है।

  • इसमें परफॉर्मेंस के दौरान क्या अलग लगा?

सुनिधि- थोड़ा नया लग रहा था, क्योंकि बहुत टाइम से वीडियो में फीचर नहीं किया था। नई बात थी, लेकिन डायरेक्टर रंजू वर्गीज ने इसे शूट करते हुए बहुत कम्फर्ट लेवल दिया। इसलिए बड़ी आसानी से मैं अपना काम कर पायी। मैं सोचती हूं कि यह इंपोर्टेंट होता है।

  • चार साल की उम्र से सिंगिग के चलते पढ़ाई भी 10वीं तक ही की। ऐसा नहीं लगता कि कहीं बचपन मिस किया हो?

सुनिधि- नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता, क्योंकि बचपन में जो कर रही थी, वह बहुत मन और खुशी से कर रही थी। हां, अगर कुछ ऐसा होता कि यह काम मुझे पसंद नहीं, तब शायद मुश्किल हो जाता। लेकिन जिस काम से मुझे सबसे ज्यादा प्यार है, वही कर रही थी, इसलिए मुझे नहीं लगता कि चाइल्डहुड में कहीं कुछ मिस किया है। मैंने म्यूजिक में स्कूल-कॉलेज से ज्यादा मजे किए हैं। इसलिए मुझे लगता है कि मेरे पास कोई कंप्लेन नहीं है। इंसान को जिस चीज में खुशी मिले, वह करना चाहिए। हां, यह जरूर कहूंगी कि मुझे मालूम नहीं कि कॉलेज लाइफ कैसी होती है, क्योंकि एक्सपीरियंस नहीं किया है। मैं जो कर रही थी और जो कर रही हूं, उसमें कभी ऐसा नहीं लगा कि काश! मैं कॉलेज जा पाती, वहां और लोगों से मिलती। शुरू से मेरा एक्सपोजर लोगों के साथ बहुत रहा है। मैं अपने से बड़े एज ग्रुप लोगों के साथ काम करती आ रही हूं, इसलिए मैच्योरिटी बढ़ती गई, इसलिए ऐसा कुछ नहीं लगा।

  • रुकी रुकी सी जिंदगी, धूम मचा ल, आजा नचल, बीड़ी जलइले जैसे हिट गाने दिए हैं। किसी रिकॉर्डिंग का किस्सा बताएंगी?

सुनिधि- मैंने बीड़ी जलइले… गाना तब गाया था, जब 9-10 गाने एक साथ गा रही थी। सांस लेने का टाइम नहीं मिल रहा था और बैक टू बैक गाने रिकॉर्ड हो रहे थे। इसलिए कोई खास मेमोरी तो नहीं है, लेकिन ऐसा मेरे साथ बहुत कम होता है कि जब स्टूडियो में जाकर गाना सुनती हूं और लगता है कि यह गाना तो डेफिनेटली कमाल का चलेगा और लोगों को पसंद आएगा। यह मेरे साथ धूम को लेकर भी नहीं हुआ था। लेकिन बीड़ी जलइले… सुनने के बाद स्टूडियो में ही मैंने कहा कि यह तो यह तो कुछ अलग ही होने वाला है। गुलजार साहब की लिखावट और उस वक्त का एकदम नया गाना था। मस्त फिल्म के गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान मेरा गला बहुत खराब था। मेरी आवाज बोलने लायक भी नहीं थी, लेकिन थोड़ी हिम्मत रखकर और दो दिन चुप्पी साधकर मैंने मस्त के गाने गाए। इस गाने के बारे में अगर किसी को बताती हूं कि उस दिन मेरा गला बहुत खराब था, तब कोई यकीन ही नहीं करता है, क्योंकि गाने बहुत अच्छे से रिकॉर्ड हुए थे और इसके लिए अवॉर्ड भी मिला था।

  • अच्छा, डेब्यू के समय पहली बार स्टूडियो में गाने का अनुभव ताजा करेंगी?

सुनिधि- पहली बार फिल्म शस्त्र में गाने का मौका मिला था। उस समय 11 साल की थी। स्टूडियो में गाते हुए बहुत डरी हुई थी। मुझे याद है कि वह गाना गाने के बाद जब घर गई, तब मुझे बुखार आ गया था। यह बुखार खुशी के मारे आ गया था। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं 11 साल की हूं और 18-19 साल की हीरोइन के लिए गाना गा रही हूं। यह गाना लड़की दीवानी लड़का दीवाना… था।

  • चार साल की उम्र में जब मंदिर और इवेंट्स में गाती थीं। उन दिनों की कोई याद बताएंगी?

सुनिधि- सच कहूं तो इस बारे में मेरे पापा बता पाएंगे। मुझे तो सिर्फ इतना ही याद है कि एक जगह से दूसरी जगह पर जाकर गाती थी। याद है कि मैं गाना गाकर बहुत खुश होती थी। इसलिए मुझे फर्क नहीं पड़ता था कि राेजाना इतनी जगह पर गा रही हूं। मैं बहुत एक्साइटेड होती थी, जब पता चलता था कि आज यहां या वहां जाकर गाना है। मेरे लिए गाना सबसे इंपोर्टेंट होता था।

  • पैसे और पॉपुलैरिटी मिल रही है, यह तो पता था!

सुनिधि- बच्ची थी, लेकिन इतनी भोली नहीं थी। मुझे सब समझ में आ रहा था। उस बारे में सोचती नहीं थी, क्योंकि उसके लिए पापा साथ होते थे और वे ही सब कुछ संभालते थे। फिर तो मुझे गाना अच्छा लगता था और गाने में व्यस्त रहती थी।

  • डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सिंगल वीडियो के ट्रेंड से मिलने वाली रिकवरी और पॉपुलैरिटी को किस तरह से देखती हैं?

सुनिधि- डिजिटल प्लेटफॉर्म की पहुंच बहुत है। दुनिया में कोई भी गाते और प्ले करते हुए देख सकता है। टीवी का अपना अलग मजा है। यह सारे टीवी चैनल पर दिखाया जाएगा। ऑफकोर्स, आजकल ज्यादातर लोग अपने फोन और लैपटॉप पर हैं। दुनिया थोड़ी बदल गई है। यह चेंज भी अच्छा है।

  • म्यूजिक जगत में टेक्नोलॉजी का बदलाव किस तरह क्रिएटिविटी को प्रभावित कर रहा है?

सुनिधि- हां, ऐसी तकनीक आ गई है, जो बेसुरे को सुरीला बना देती है। लेकिन इसके फायदे-नुकसान दोनों हैं। फायदा यह है कि काम थोड़ा आसान हो जाता है। बेहतर काम करता है, यह तो नहीं बोलूंगी। नुकसान यह है कि पहले जो माइक के सामने मेहनत करनी पड़ती थी, वह मेहनत थोड़ी कम हो गई है। इसमें आर्टिस्ट का नुकसान ज्यादा है, क्योंकि वह मेहनत करके ही बेहतर होता है। लेकिन अगर ऑटो ट्यून डिवाइज को अगर बेहतर से इस्तेमाल करें, तब कोई बुराई नहीं है।

  • आपका नाम निधि से सुनिधि कैसे पड़ा?

सुनिधि- मुंबई आकर जब कल्याणजी-आनंदजी भाई को मिली थी, तब सुनिधि नाम पड़ा। उस समय उनकी एकेडमी में साधना सरगम, सोनाली बाजपेयी, सपना मुखर्जी, स्नेहा पंत आदि थे और सबका नाम ‘स’ से शुरू होता था। इसलिए मेरा भी नाम निधि से सुनिधि रख दिया।

  • क्या हाल-फिलहाल में कोई और सिंगल लेकर आ रही हैं?

सुनिधि- हां, इसके बाद अपने नए गाने पर काम शुरू कर दूंगी। वह भी सिंगल ही होगा, जो बहुत जल्द आएगा।

  • फिल्मों में गाना गाने की जो संतुष्टि मिलती है, क्या वह सिंगल में भी मिलती है?

सुनिधि- म्यूजिक तो म्यूजिक ही है। मुझे हर गाने में एक जैसी संतुष्टि मिलती है। फिर चाहे वह फिल्म के लिए हो या नॉन-फिल्मी। मुझे गाना पसंद है, इसलिए अपनी सारी खुशी हर गाने में ढ़ूंढ़ लेती हूं। सिंगल में सिचुएशन नहीं होती और फिल्मों में सिचुएशन होती है, दोनों में सिर्फ यही फर्क है। बाकी सब कुछ सेम है।

  • किस गाने को गाकर सबसे ज्यादा संतुष्टि मिली और किस गाने को गाकर रिग्रेट हुआ। इस सवाल का जवाब क्या होगा?

सुनिधि- ऐसा कोई गाना नहीं है, जिससे पूरी संतुष्टि मिली हो। ऐसा कोई गाना नहीं है, जिसे गाकर रिग्रेट फील हुआ हो। संतुष्टि मिले, इसके लिए तो अभी दिल्ली बहुत दूर है।