मेहनती चींटी+ अनुशासन + बुद्धिमता= उत्कृष्ट आवास
भगवान ने प्रत्येक जीव को अपने आवास निर्माण या चयन का रचना कौशल दिया है| बुद्धिमता का शरीर के आकार साथ कोई निश्चित संबंध नहीं है| चींटी जैसे छोटे जीव यही प्रदर्शित सिद्ध करते हैं.... चींटी अपने वजन से 50 गुना अधिक वजन उठा सकती है यह तो सभी जानते हैं| लेकिन चींटी के घोसले या बांबी के अद्भुत आर्किटेक्चर के विषय में बहुत कम लोग जानते हैं/बोध रखते हैं | चींटी के घोसले का कंपलेक्स स्ट्रक्चर आला से आला इंसानी दिमाग को सोचने पर मजबूर कर देता है|
चीटियां अधिकतर जमीन पर मिट्टी खोदकर घोंसला बनाती है, बाहर से तो यह एक छेद के चारों तरफ दानेदार मिट्टी के ढेर के रूप में ही साधारण सा नजर आता है लेकिन चीटियों के व्यवहार पर अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों ने जब चीटियों के खाली घोसले /घर में मॉम डालकर उसका प्रतिरूप सांचा प्राप्त किया तो वह दंग रह गए| चींटी का घोंसला जमीन से 2 फीट लेकर 8 फीट गहराई तक होता है... यह होरिजेंटल ना होकर वर्टिकल होता है.... अर्थात बहुमंजिला| दाना पानी संग्रह करने ,छोटे लारवा अंडो ,रानी चींटी के लिए अलग-अलग चेंबर बने होते हैं| बाहर से राशन पानी लाने वाली, घोसला बनाने वाली वर्कर चीटियों के लिए अलग आराम करने के लिए अलग चैंबर बने होते हैं| घोंसले का प्रत्येक चेंबर हेलीकल शेप की विशेष टनल सुरंग से जुड़ा हुआ होता है|
यह सुरंग ऐसे बनी होती है कोई बाहरी घुसपैठिया कीट जीव यदि घोसले में आए तो वह सीधा अंडो लारवा रानी चींटी जिसकी उम्र 30 वर्ष तक होती है , तक ना पहुंच पाए| चीटियां अपने घोंसले में कभी नहीं भटकती रास्ते पहचानने (Path finding) लिए विशेष गंध चिन्ह का इस्तेमाल करती है| घोसले में जैसे-जैसे चीटियों की संख्या बढ़ती जाती है घोसले का आकार बढ़ता जाता है|उपयोग जरूरत के हिसाब से ही कक्ष बनाए जाते हैं| कक्ष के बनने का एक क्रम होता है अंडे रखने वाले कक्ष अंडा रखने वाले के निकट इसी प्रकार दाना पानी आदि उपयोग के मामले में होता | हजारों चीटियां मिलकर घोसले के निर्माण के कार्य में योगदान देती है लेकिन कार्य में कोई गड़बड़ नहीं होती कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की तरह सारा काम होता है..... जबकि इंसानों के विषय में कहा जाता है तीन तिगड़ा ,काम बिगड़ा| अर्थात किसी कार्य को बिगाड़ ना हो तो उस कार्य में दो से अधिक व्यक्तियों को नियुक्त कर दीजिए| इंसानों में तालमेल नहीं बन पाता... चीटियां टीमवर्क कोआर्डिनेशन में गजब होती है| चीटियों के पूरे आवास के वेंटिलेशन तापमान के नियंत्रण के लिए विशेष व्यवस्था होती है|
घोसले में खुदाई व उसकी सफाई का कार्य निरंतर चलता रहता है एक रेत का कण भी अवरोध के रूप में सुरंगों में नहीं मिल सकता| चींटी के घोसले का भावनात्मक तौर पर यदि हम मूल्यांकन करें तो सबसे पहली प्राथमिकता रानी चींटी जिसका रहना ही चीटियों के अस्तित्व के लिए जरूरी है वही अंडे देती है | फिर बच्चों अंडो लारवा को दी जाती है अंतिम में भोजन को प्राथमिकता दी जाती है| भौतिक तौर पर मूल्यांकन करें तो चीटियों का घोंसला engineering, आर्किटेक्चर का बेहतरीन लाजवाब नमूना है| यह छोटा सा चींटी जीव उस निराकार सर्वशक्तिमान महान ईश्वर की सत्ता को सर्व सुलभ सिद्ध कर रहा है