#शरद_पूर्णिमा #फसल_पूर्वानुमान_का_दिन
#शरद_पूर्णिमा #फसल_पूर्वानुमान_का_दिन
-----------------
भारत तपस्वियों की भूमि रही है, यहां पर कई ऋषि हुए हैं.....जिन्होंने जन कल्याण हेतु अनेकों अविष्कार, कृषि पद्धति, औषधीय वनस्पतियों की खोज की है.... यहां पर हम एक ऎसी ऋषि कृषि कार्यप्रणाली पर चर्चा करते जा रहे हैं! जिस की खोज बहुत पहले ही हमारे ऋषि मुनियों द्वारा अवरुद्ध कर दी गई थी! जानकारी के अभाव में हम उस कार्यविधि से अनविज्ञ हैं!
आज हम आपको मामूली ऋषियों की एक ऐसे कार्यप्रणाली के बारे में बात करने जा रहे हैं.. जिस के बारे में यह आधार दिया जा सकता है कि आने वाले वर्ष में कौन सी फलोत्पत्तिेगी, कौन सी कटौती बोने से किसानों को अच्छा लाभ लाभ मिलेगा संभव... कौन सी फसल अधिक उत्पादन देगा... इस बारे में जानने के लिए एक अनूठा तरीका हमारे ऋषि मुनियों और पुराने लोग उपयोग में लेते थे! इस तरह से सभी किसान भाइयों को अपना करने का सपना देखा जाना चाहिए...!
इस पद्धति में एक तरीका है जो साल भर की सफलता के लिए आने वाला समय में कोन सी परिणाम अच्छी होगी या कम होगी उसका अंदाजा लगाया जा सकता है... इसके लिए एक खास दिन की रात का समय चुना जाता है... वो है # शरद पूर्णिमा की रात्रि...।।
शरद पुर्णिमा के दिन हमारे पास भी बीज हैं जैसे सब्जी वर्ग, धान्य वर्ग, दलहन, तिलहन, घास पूष सब फसल जो खेत में झुलसती जाती हैं, उन सभी के बीजों को अपने पास लेकर रखते हैं... इन सभी बीजों को सौ - सौ वजन करके अलग-अलग दस्तावेजों में भरें और जो घास वर्गों के बीज लगाते हैं.. उसे एक - एक किलो के होश से लें.. सभी को कागज में लिखकर लें.... अब बीजों को शरद पूर्णिमा की
रात 12:00 चांदनी की रोशनी में कटोरियों में खुला रहता है और उस पर चंद्रमा की रोशनी की रोशनी देता है.... सुबह 4:00 बजे सभी बीजों का फिर से वजन करके देखें पहले वाले लिखे वजन से इसकी तुलना करें किसे बीज में ज्यादा वजन बढ़ा है... किस बीज में कम वजन हुआ है.. किसमें बराबर है..!
जिस बीज में सबसे अधिक वजन बढ़ा है वो गिरावट इस शरद पूर्णिमा से आने वाली शरद पूर्णिमा के बीच अपने मौसम के अनुसार सबसे ज्यादा व्यापक रूप देगा...!
इस पद्धति से सभी किसान भाई परिणाम का पूर्वानुमान कर नुकसान होने से बचा सकते हैं... एवं जो हमारे कृषि के ऋषिओं की खोज करते हैं उन्हें अपने अमल में लाकर किसानों को नुकसान होने से बचा सकते हैं... समस्त समझौते के लिए बीजों की बुवाई नक्षत्र के अनुसार किसान कम से कम नुकसान होने से बच सकते हैं...!
इस शरद पूर्णिमा पर यदि आप इसका प्रयोग करना चाहते हैं तो आपको सावधानियों का पालन करना होगा..।
हम जानते हैं कि गलत वृद्धि में संपूर्ण भूमिका चंद्रमा की होती है...।।
1- सबसे पहले अपने क्षेत्र में रबी/खरीफ में होने वाले प्रमुख चमत्कृत के नाम लिखे रबी के लिए गेहूं चना जौ सरसोथी जीरा सौंफ राई इसबगोल आदि पर प्रयोग करना चाहते हैं। जो फसलें हम अपने क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर बुवाई करते हैं उन संबद्धता का बीज समूह पर प्रयोग कर सकते हैं..।
2- उन प्रमुखों के 100- 100 ग्राम प्रौढ़ बीज लेते हैं बीज के साथ घोचा कंकर आदि ठीक नहीं हो..।
3- इन 100 ग्राम बीज को प्लेट या तश्तरी में इस प्रकार लगाना है कि बीज के ऊपर बीज चढ़ाया नहीं जाना चाहिए इसकी परख पहले कर लेनी चाहिए..।
4- छत या ऐसे स्थान पर रखना है जिससे रात 11:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक चंद्रमा की रोशनी पर लगातार गिरनी चाहिए किसी भी प्रकार की छाया बीज पर नहीं पड़ी यानी रसी की छाया भी ना हो उनकी फोटो खींच कर वाट्स अप नाइट 11.10 बजे तक करना है...।
5-बीज को कीड़े मकोड़े चूहे या अन्य जीव ले जा सकते हैं उसे बचाना जरूरी है किसी भी प्रकार की लकीर या सीलन को भी प्लेट में नहीं होना चाहिए इससे वजन खोएंगे रात 11:00 प्लेट में खींचे गए बीज के चित्र से मिलान भी कर ले .....।।
6-बीज को रात 11:00 बजे रखना ठीक है 100 ग्राम अच्छे कांटे से तोलना है और सुबह 4:00 बजे तुरंत तौल कर वजन लिखना है..।
7- जिस बीज का जितना ज्यादा वजन होगा वह उतनी ही ज्यादा अच्छी होगी जिस चीज का वजन सबसे कम होगा वह कटौती सबसे कम होने की अनुमान है।।
8-बीजों के वजन करते ही वजन की सूची व्हाट्सएप द्वारा तुरंत 5 बजे से पहले करें, इसके बाद वाट्स अप करना मान्य नहीं होगा क्योंकि प्रात 6 पूरे बजे जिले की विश्लेषण रिपोर्ट तैयार कर किसानों को जारी करने की योजना है क्योंकि किसान उसी के अनुसार निर्णय लेते हैं हम चाहेंगे कि इसका लाभ अधिकाधिक किसानों को मिले और बिजान में विलंब न हो..।
9- बीज का चयन पर्याप्त समय पहले करें ताकि बीज में भी कमी आदि की समस्या ना हो..।
10- प्रयोग की सफलता हम सब के सामूहिक प्रयास से मिलनी है तो किसी भी प्रकार की लापर वाही या अकर्मण्यता दूसरे लोगों के लिए खतरा हो सकता है..।
11- आपके ग्रंथो के अध्ययन से मेहुल भाई ने यह प्रयोग बताया है इसलिए कृषि ज्ञान संबद्ध उनके वीडियो का यू ट्यूब लिंक दे रहे हैं उसे पूरे मनोयोग से प्राप्त है..। https://youtu.be/jSJWkBzZfRI
बीकानेर जिले का समन्वय गोग्राम स्वावलंबन संस्थान कर रहा है अन्य संस्थाओं में भी इस प्रयोग को प्रतिष्ठित कर किसानों को बढ़ावा दे सकता है...।