करंट से दोनों हाथ कटे, पैरों से लिखना सीखा और पहले प्रयास में कृषि पर्यवेक्षक के पद पर चयन हुआ

Sep 14, 2020 - 02:19
Sep 14, 2020 - 02:32
करंट से दोनों हाथ कटे, पैरों से लिखना सीखा और पहले प्रयास में कृषि पर्यवेक्षक के पद पर चयन हुआ

शेखावाटी की माटी ने हमेशा बहादुर पूतों को जना है। साहस...शौर्य और दूसरों से हटकर कुछ कर दिखाने का जज्बा ही जो दूसरों से शेखावाटी को अलग बनाता है। ऐसे ही सीकर के लाल हैं भरत सिंह शेखावत। 6 साल की उम्र में ही हाइटेंशन लाइन की चपेट में आने से भरत के कंधे के पास से दोनों हाथ काटने पड़े।

बिस्तर से दो साल तक उठा नहीं गया। पर इस मासूम का आत्मबल ठीक उसी तरह बढ़ता गया जैसे सुरसा को देखकर हनुमान का। हर दिन दोस्तों को स्कूल जाते देखकर नहीं रहा गया तो पिता तेज सिंह से स्कूल जाने की जिद कर बैठा।

पढाई का जुनून और जिंदगी को बदलने की जिद ऐसी की पैरों से लिखना तक सीख लिया। 8वीं की बौर्ड परीक्षा ने भरत ने दूसरा स्थान हासिल किया। मुठ्टी से समय का रेत फिसलता गया और शुक्रवार को जब भरत का चयन कृषि पर्यवेक्षक के पद पर हुआ तो यह उसका करारा जवाब था उन लोगों के लिए जो असफलता के लिए बहाने ढूढ़ते हैं।