सरसों कटाई के लिए मजदूरी हुई महंगी यूपी व एमपी के मजदूर 2500₹ प्रति बीघा के हिसाब के कटाई करने के जुटे

Mar 16, 2023 - 08:42
सरसों कटाई के लिए मजदूरी हुई महंगी यूपी व एमपी के मजदूर 2500₹ प्रति बीघा के हिसाब के कटाई करने के जुटे

बहरोड़ उपखंड़ क्षेत्र सहित आसपास के इलाकों में मौसम के बदलते मिजाज के बीच ग्रामीण क्षेत्र में इन दिनों सरसों की कटाई का कार्य जोरों पर चल रहा है। सरसों की अधिकांश फसल पककर तैयार है, लेकिन मजदूर समय पर नहीं मिलने से फसल की खेत में ही सूखकर खराब होने की संभावना बढ़ गई हैं। इसके चलते किसानों को और अत्यधिक नुकसान हो सकता है।

क्योंकि दिसंबर एवं जनवरी माह में कड़ाके की ठंड, पाला पड़ने एवं बारिश के कारण सरसों की फसलों में 70 से 80 फीसदी नुकसान हो गया। कहीं-कहीं पर तो शत प्रतिशत फसलों में नुकसान हुआ था।

फसलों की कटाई के लिए किसान परिवार मजदूर उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश से यहां आ रहे हैं। यहां के किसान अपनी फसलों को जल्द सिमेटने के लिए मजदूरों को मुंह मांगे रेट दे रहे है। सामान्य दिनों में फसल कटाई के 200 रुपए लेने वाली महिलाएं अब साढ़े तीन से चार सौ रुपए ले रही हैं। इसके बाद किसानों को समय पर सरसों की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। बाहर से आने वाले मजदूर ज्यादातर ठेका लेकर फसल काट रहे हैं। वे एक बीघा के ही दो से ढाई हजार रुपए ले रहे हैं। जबकि सामान्य दिनों में करीब एक हजार से 1500 रुपए में एक बीघा फसल काट देते हैं। मध्यप्रदेश निवासी रामशरण व सोमवती देवी ने बताया कि वे पिछले पांच साल से आस पास के क्षेत्र में सरसों की कटाई के लिए आते हैं। इस साल दो हजार से ढाई हजार रुपए प्रति बीघा में सरसों की कटाई कर रहे हैं।

उन्होनें बताया कि वर्ष 2020 में पहले कोरोना की लहर के बीच वे फंस गए थे। वे जैसे-तैसे अपने प्रदेश घर पर लौट गए। उसके बाद दूसरी लहर में आए ही नहीं। लेकिन, अब सब कुछ सामान्य होने से परिवार के 10 सदस्यों के साथ आए हैं। यहां करीब दो माह रुकने के बाद वे वापस लौट जाएगे। यहां आकर हमें परिवार के जैसा माहौल मिल जाता है, लेकिन कोरोना के जैसे महामारी से डर भी लगता है।

मेहमानों की तरह आ रहे मजदूर

किसान रामनिवास यादव ने बताया कि मजदूरों की कमी से बाहर से आने वाले मजदूरों की मेहमानों की तरह आवभगत हो रही है। उन्हें नाश्ता कराने सहित वाहनों से खेत तक ले जाया जा रहा है। इस साल 19 हजार हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई है। मौसम के बदलाव के साथ सरसों की फसलों की कटाई करने एवं सिमेटने में लगे हैं।