अफगानिस्तान में हिंसा पर UN की रिपोर्ट: इस साल जनवरी से जून तक 1659 लोगों की मौत और 3254 घायल, 2020 की तुलना में यह 47%

Jul 27, 2021 - 16:21
Jul 27, 2021 - 16:40
अफगानिस्तान में हिंसा पर UN की रिपोर्ट: इस साल जनवरी से जून तक 1659 लोगों की मौत और 3254 घायल, 2020 की तुलना में यह 47%
UN ने रिपोर्ट में बताया कि मई और जून में ज्यादातर हिंसा शहर के बाहरी इलाकों में हुई। सेना अगर समय रहते कदम उठाती तो जनहानि कम की जा सकती थी।

अफगानिस्तान में जारी हिंसा में 2021 के शुरुआती 6 महीनों में रिकॉर्ड संख्या में कैजुअल्टी हुई है। UN की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान 1 हजार 659 लोगों की मौत हुई और 3 हजार 254 लोग घायल हुए। पिछले साल इसी दौरान हुई जनहानि से यह 47% अधिक है। यह कैजुअल्टी सरकार विरोधी तत्वों (AGE) ने 64%, तालिबान ने 39%, इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत (ISIL-KP) ने 9% और 16% अज्ञात संगठनों ने पहुंचाई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 के पहले 6 महीने में इन सभी हताहतों में करीब आधे महिलाएं और बच्चे थे। मारे गए लोगों में 32 फीसदी बच्चे हैं जिनकी संख्या 468 है और 1214 बच्चे घायल हुए हैं। मृतकों में 14 फीसदी महिलाएं हैं जिनकी संख्या 219 है, जबकि घायलों की संख्या 508 है। अमेरिका-नाटो सैनिकों की वापसी का 95 फीसदी काम पूरा हो गया है और 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से उनकी पूरी वापसी हो जाएगी।

मई-जून में हताहतों की संख्या में बढ़ा उछाल
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि यहां मई-जून में हताहतों की संख्या में बढ़ा उछाल आया। इन दो महीनों में हुई हिंसा में मृतकों और घायलों की संख्या जनवरी से लेकर अप्रैल तक की तादाद के बराबर है। दरअसल, इसी महीने विदेशी सेनाएं अफगानिस्तान से बाहर गईं जिससे यहां हिंसा काफी बढ़ गई।

शहर के बाहरी इलाकों में हुई ज्यादातर हिंसा
इसमें बताया गया कि मई और जून में ज्यादातर हिंसा शहर के बाहरी इलाकों में हुई। सेना ने अगर समय रहते कदम उठाया होता तो जनहानि कम की जा सकती थी। UN ने चेतावनी दी है कि अगर अफगानिस्तान में हिंसा कम नहीं हुई तो इस साल हताहतों की संख्या रिकॉर्ड नंबर पर पहुंच सकती है।

बातचीत से मसला सुलझाने के प्रयास तेज करने होंगे
UN अधिकारी डेबोरा लियोन ने कहा कि अफगान नेताओं और तालिबान को बातचीत से मसला सुलझाने के प्रयास तेज करने होंगे। साथ ही अफगानों को आपस में लड़ने से रोकना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे।

अफगानिस्तान के कई इलाकों पर तालिबान का कब्जा
तालिबान ने हाल के समय में अफगानिस्तान के कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। कई पड़ोसी देशों के साथ लगती सीमाओं पर भी उसने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है और कई प्रांतीय राजधानियों पर उसके कब्जा करने का खतरा बना हुआ है।

क्या और कैसा है तालिबान?

  • 1979 से 1989 तक अफगानिस्तान पर सोवियत संघ का शासन रहा। अमेरिका, पाकिस्तान और अरब देश अफगान लड़ाकों (मुजाहिदीन) को पैसा और हथियार देते रहे। जब सोवियत सेनाओं ने अफगानिस्तान छोड़ा तो मुजाहिदीन गुट एक बैनर तले आ गए। इसको नाम दिया गया तालिबान। हालांकि तालिबान कई गुटों में बंट चुका है।
  • तालिबान में 90% पश्तून कबायली लोग हैं। इनमें से ज्यादातर का ताल्लुक पाकिस्तान के मदरसों से है। पश्तो भाषा में तालिबान का अर्थ होता हैं छात्र या स्टूडेंट।
  • पश्चिमी और उत्तरी पाकिस्तान में भी काफी पश्तून हैं। अमेरिका और पश्चिमी देश इन्हें अफगान तालिबान और तालिबान पाकिस्तान के तौर पर बांटकर देखते हैं।
  • 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत रही। इस दौरान दुनिया के सिर्फ 3 देशों ने इसकी सरकार को मान्यता देने का जोखिम उठाया था। ये तीनों ही देश सुन्नी बहुल इस्लामिक गणराज्य थे। इनके नाम थे- सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और पाकिस्तान।