तकनीक ने पूरा किया सपना, 58 साल की महिला बनी जुड़वा बच्चों की मां
महिला का शारीरिक चेकअप करने के बाद उम्मीद की किरण नजर आई। हार्मोन्स को ठीक कर एक साल निगरानी में रखा। इसमें सफलता मिली और शनिवार को बीकानेर निवासी शेरा भादू ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया।
बीकानेर. 58 वर्षीय महिला शेरा भादू तो मां बनने की उम्मीद छोड़ चुकी थी। आईवीएफ तकनीक के बारे में पता चला, लेकिन अपनी उम्र ज्यादा होने के चलते संकोच में कुछ दिन निकाल दिए। परिवार के सदस्यों को विश्वास में लेकर यहां के एक निजी क्लीनिक में पहुंची और आईवीएफ तकनीक से मां बनने का सपना पूरा हुआ। महिला ने जुड़वा बच्चों एक लड़का और एक लड़की को जन्म दिया है।
श्री कृष्णा न्यूरोस्पाइन एंड मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल की डॉ. शैफाली दाधीच तुंगारिया ने शनिवार को सफल प्रसव कराया। डॉ. शैफाली ने बताया कि 50 साल के बाद मां बनने की उम्मीद समाप्त नहीं होती है। खासकर आईवीएफ के प्रति जागरूकता में कमी और इंतजार करने के चलते आम तौर पर 45 से 50 साल की आयु के केस तो खूब आते हैं। महिला 55 साल से बड़ी हो, ऐसा पहला ही केस हमारे पास आया। महिला का शारीरिक चेकअप करने के बाद उम्मीद की किरण नजर आई। हार्मोन्स को ठीक कर एक साल निगरानी में रखा। इसमें सफलता मिली और शनिवार को बीकानेर निवासी शेरा भादू ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। जच्चा-बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हैं।
क्या है आईवीएफ
आईवीएफ (IVF) का मतलब इन विट्रो फर्टिलाइजेशन होता है। जब शरीर अंडों को निषेचित करने में विफल रहता है, तो उन्हें प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है। इसलिए इसे आईवीएफ कहा जाता है। एक बार जब अंडे निषेचित हो जाते हैं, तो भ्रूण को मां के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। इसमें महिला के एग को पुरुष के स्पर्म से मिलाना और फिर गर्भ में स्थापित करना, सबकुछ नेचुरल तरीके से किया जाता है।
Kumkum sharma 

