राजस्थान में हर शख्स पर 50 हजार रुपए से ज्यादा कर्ज, जो अब तक का रिकॉर्ड

Jan 13, 2021 - 04:55
Jan 13, 2021 - 04:56
राजस्थान में हर शख्स पर 50 हजार रुपए से ज्यादा कर्ज, जो अब तक का रिकॉर्ड
6 माह में राजकोषीय घाटा 27 हजार करोड़ रु. पहुंचा, प्रदेश पर ~3.79 लाख करोड़ कर्ज

राजस्थान के लिए चिंता की खबर है मौजूदा वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में ही सरकार का राजस्व घाटा 27,858 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। वहीं, प्रदेश पर अब तक 3.79 लाख करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ चुका है।

यानी 7.5 करोड़ की कुल आबादी के हिसाब से अनुमान लगाएं तो प्रदेश के हर शख्स पर करीब 50,533 रुपए का कर्ज है। यह अब तक का सर्वाधिक है। आने वाले बजट से पहले गहलोत सरकार ने मंगलवार को अपनी वित्तीय सेहत की छमाही रिपोर्ट सार्वजनिक की। उसी में ये आंकड़े दिए गए हैं।

राजस्थान फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट के तहत जारी की गई इस रिपोर्ट में सरकार ने अप्रैल से सितंबर तक अपनी आमदनी और खर्च का ब्योरा सार्वजनिक किया है। बता दें कि आमदनी और खर्च के अंतर को राजस्व घाटा माना जाता है।

इस अवधि में आमदनी 55096 करोड़ रुपए और खर्च 83055 करोड़ रुपए रहा। इसमें पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले इस बार सरकार का प्रत्यक्ष कर संग्रह 13.56% और अप्रत्यक्ष कर संग्रह 34.64% कम रहा। सरकार ने पूरे वित्त वर्ष के लिए 33922 करोड़ रु. का राजकोषीय घाटा अनुमानित किया था।

4 बड़े कारण; लॉकडाउन से कारोबार ठप रहा और हेल्थ पर खर्च बढ़ा

1. लंबे लॉकडाउन की वजह से कारोबार ठप रहा, जिससे सरकार को टैक्स नहीं मिला।

2. केंद्रीय कर 17101 करोड़ के मुकाबले 15541 करोड़ मिला। 11.87% का घाटा।

3. राज्य सरकार के अपने कर राजस्व में 32 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट रही।

4. हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर आर्थिक मदद पर भी ज्यादा खर्च करना पड़ा।

4 बड़े असर; जो घाटे के कारण झेलने पड़े

  • सरकार को कर्मचारियों के वेतन में कटौती करनी पड़ी। कटौतियों के भुगतान लंबित करने पड़े।
  • कर्मचारियों के मेडिकल बिलों के भुगतान की लंबी कतार लग गई है।
  • बड़े प्रोजेक्ट इससे सीधे प्रभावित होंगे क्योंकि सरकार इस वित्तीय वर्ष में अपनी अधिकतम सीमा तक पहले ही उधार ले चुकी है।
  • अब जितना पैसा मिलेगा उतना ही खर्च कर पाएगी सरकार। यही वजह है कि सरकार ने विभागों को अपने प्रोजेक्टों के खर्च में कटौती करने के प्लान मांगे हैं।

उम्मीद भी है

लॉकडाउन खत्म होने के बाद अब धीरे-धीरे सरकार का कर राजस्व बढ़ रहा है। ऐसे में अगले छह महीनों में राजस्व घाटे की भरपाई भी हो सकती है। मगर खर्च पर दबाव रहना तो तय है।