आरटीओ ऑफिस के बाहर देर रात तक चलती रही जांच, फर्जी लाइसेंस, आरसी सहित अन्य सैकड़ों दस्तावेज जब्त

Jan 12, 2021 - 04:22
Jan 12, 2021 - 04:33
आरटीओ ऑफिस के बाहर देर रात तक चलती रही जांच, फर्जी लाइसेंस, आरसी सहित अन्य सैकड़ों दस्तावेज जब्त
अलवर. आरटीओ कार्यालय के बाहर से कागजात बनाने वालो को पकड़कर ले जाते पुलिसकर्मी।
  • कई लोग हिरासत में लिए, मंगलवार को पुलिस करेगी मामले का खुलासा
  • पुलिस ने कई दिन पड़ताल की, फिर रुपए देकर बनवाई सरकारी कॉलेज की मार्कशीट

सोमवार शाम को आरटीओ कार्यालय के बाहर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते फर्जी लाइसेंस आरसी, अंकतालिका, आधार कार्ड आदि बनाने के काम में शामिल करीब 6 लाेगों को हिरासत में लिया है साथ ही इनके काम आने वाला सामान भी जब्त किया है।

ये लोग फर्जी काम करने के बदले ग्राहक व काम देखकर 5 से 10 हजार व किसी से इससे भी अधिक राशि लेते थे। यह कार्रवाई पुलिस की टीम ने सदर थानाधिकारी आईपीएस ज्येष्ठा मैत्रेयी के नेतृत्व में की गई। कार्रवाई को लेकर पुलिस ने अभी अधिकृत जानकारी नहीं दी है , एसपी ने कहा है कि कुछ लोग हिरासत में लिए है जिनसे पूछताछ के बाद सारी जानकारी दे दी जाएगी। संभवतया मंगलवार को पुलिस इसका खुलासा करेगी।

पुलिस ने इनके ठिकानों से फर्जी आरसी, लाइसेंस,आधार कार्ड, अंकतालिका सहित कई तरह के दस्तावेज के अलावा स्कैनर, प्रिंटर मशीनें भी जब्त की है। इस फर्जीवाड़े में दलालों के भी दलाल खड़े हैं। मतलब दलालों के पास भी विश्वसनीय लोगों को ही लाने की जिम्मेदार दूसरे दलालों की होती है। उनके जरिए आने वालों के ही फर्जी कागजात बनाते हैं। सामान्य तौर पर बिना किसी की जान पहचान के कोई आता है तो उसे मना भी कर देते हैं।

आरटीओ ऑफिस में फर्जी लाइसेंस व आरसी बनाने की जानकारी के बाद पुलिस ने छापा मारा। इस काम में शामिल 6-7 लाेगाें काे पुलिस लेकर आई है। इनसे पूछताछ की जा रही है। इस काम में काैन-काैन लाेग शामिल है, इसकी भी जांच की जा रही है।-तेजस्वीनी गाैतम, एसपी अलवर

पुलिस के अनुसार करीब 10 दिनों से इस पूर मामले तक पहुंचने की पड़ताल जारी थी। बोगस ग्राहक बनकर लाइसेंस व अंकतालिका बनवाई है। पुलिस से भी लाइसेंस व आरसी के रुपए लिए हैं। इस फर्जीवाड़े की पुष्टि होने के बाद ही आईपीएस ने पुलिस थाने व क्यूआरटी की टीम लेकर कार्रवाई को अंजाम दिया। एक साथ छह टीम बनाकर अलग-अलग दलालों की दुकान पर छापा मारा। फर्जीवाड़े के ठिकानों पर पहुंचते ही पुलिस ने कहा कि भागने की कोशिश नहीं करें। पुलिस जांच करने आई है। इसके बाद उनके उपकरण जब्त किए गए और संबंधित लोगो को थाने लाया गया।

भास्कर इन्वेस्टिगेशन : चिप लगे स्मार्ट कार्ड पर छापते थे लाइसेंस-आरसी
भास्कर ने मामले की समानान्तर पड़ताल की चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। जिन लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है उनके कारनामे आप भी सुनेंगे तो हैरान हो जाएंगे। आरटीओ ऑफिस के बाहर ये लोग एक गिरोह के रूप में काम करते थे। आधार कार्ड में किसी भी तरह की एडिटिंग के साथ-साथ ये एजेंट आपको हर तरह की मार्कशीट व अन्य दस्तावेज हूबहू बनाकर देने का काम करते थे। भास्कर ने मामले की बारीकी से पड़ताल की तो सामने आया कि इन लोगों के टारगेट पर ऐसे ग्राहक रहते थे जो खुद तैयार दस्तावेज जल्दी देने की जिद करते थे।

उसी जिद के एवज में एक दस्तावेज के 5 से लेकर 10 हजार तक रुपए वसूल लेते थे और किसी भी लाइसेंस या आरसी की फोटो कॉपी कर उसमें एडिटिंग करने के बाद उसका प्रिंट चिप लगे स्मार्ट कार्ड पर दे देते थे। पड़ताल में यह भी सामने आया कि अधिकांश ग्राहक ऐसे भी होते थे जिन्हें ट्रक या अन्य किसी भार वाहन के साथ एक या दो महीने के लिए बाहर जाना है और उन्हें लाइसेंस या आरसी की जरूरत है। ऐसे लोगों को ये महज तीन-चार घंटे में फर्जी तरीके से लाइसेंस व आरसी बनाकर तैयार कर देते थे। दरअसल बाजार में चिप लगे स्मार्ट कार्ड आसानी से उपलब्ध है।

इस कार्ड की कीमत 5 से 10 रुपए है। इसके अलावा आधार कार्ड में फोटोशॉप व अन्य सॉफ्टवेयर की मदद से किसी भी तरह की फेरबदल करना इनके बाएं हाथ का खेल रहता था। लाइसेंस के लिए आवश्यक दस्तावेज मार्कशीट भी ये कॉपी कर हूबहू तैयार करके दे देते थे। बताया जा रहा है कि इन दिनों हरियाणा क्षेत्र के लाइसेंस रिन्यू होने का काम तेजी पर है। इसके चलते फर्जीवाड़े का यह काम चरम पर था।

ऐसे करते थे कलाकारी
उदाहरण के तौर पर आपको यदि हाथो-हाथ लाइसेंस चाहिए तो इनके संपर्क में आने के साथ ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाती थी। आरटीओ ऑफिस में करीब 6 या 7 लोगों का ऐसा गिरोह है जो यह काम करता था। इस गिरोह के सदस्यों का काम रहता था कि किसी का भी लाइसेंस स्केन करो और एडिटिंग कर दूसरे का नाम, पता, फोटो लगाकर प्लास्टिक की चिप लगे कार्ड पर प्रिंट कर दो। बस इसी काम की कीमत हजारों में रहती थी। दरअसल बाजार में चिप लगे प्लेन कार्ड आसानी से उपलब्ध हैं। वर्तमान में पीवीसी कार्ड प्रिंटर की सहायता से यह आसानी से हो जाता है। पड़ताल में यह भी सामने आया कि इसके लिए इन एजेंटों द्वारा क्रेक वर्जन के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी किया जाता था।

पूरे खुलासे में समय लगेगा
आइपीएस ज्येष्ठा मैत्रेयी ने बताया कि कई कम्प्यूटर, स्कैनर, कार्ड, चिप, दस्तावेज मिले हैं। सबकी जांच में समय लगेगा। अभी पकड़े गए लोगों से पूछताछ भी पूरी नहीं हो सकी है। लेकिन, यह सही है कि अंकतालिका, लाइसेंस व आरसी सहित कई तरह के दस्तावेज फर्जी तरीके से बना देते हैं। यह सब परिवहन कार्यालय के बाहर सालों से हो रहा है लेकिन, जिम्मेदार अधिकारियों के स्तर से कभी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। उसी का परिणाम है दलाल कार्यालय के अन्दर का कामकाज कराने का पैसा लेते थे। धीरे-धीरे सब फर्जी बनाने लग गए। पहले कभी कभार ही फर्जी आरसी व लाइसेंस का मामला पकड़ में आता था। अब तो फर्जीवाड़े की कई दुकानें जम गई।

कॉलेज आचार्य व बड़े अधिकारियों की मुहर भी
इनके पास कॉलेज आचार्य व बड़े अधिकारियों की मुहर भी मिली है। ये मुहर फर्जी अंकतालिका बनाने के बाद मुहर भी लगाकर देते हैं। ताकि कहीं कोई शक की गुंजाइश ही नहीं हो। अंकतालिका भी असली जैसी बना देते हैं। स्कूलों के प्राचार्य की मुहर भी मिली हैं।

कार्यालय के बाहर कार्रवाई की सूचना मिली थी। पुलिस ने विभाग से संपर्क कर जानकारी मांगी थी। जो उन्हें उपलब्ध करवा दी है। -रानी जैन, आरटीओ