पानी आया ताे एक साल बाद सारस गणना में दाे का हुआ इजाफा, अब 78

Apr 11, 2022 - 07:21
पानी आया ताे एक साल बाद सारस गणना में दाे का हुआ इजाफा, अब 78
केवलादेव घना में नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी की ओर से 39वीं सारस गणना की गई

रविवार काे एक साल बाद सारसाें की गणना की गई, जिसमें दाे का इजाफा हुआ है। क्याेंकि पिछले दाे साल से घना सहित वेटलेंड एरिया में पानी आ रहा है। रविवार काे घना केवलादेव नेचुरल हिस्ट््री सोसायटी द्वारा वन विभाग के सहयोग से 39वीं सारस गणना की गई, जिसमें 78 सारस दिखाई दिए। यह पिछली गणना वर्ष 2020 के मुकाबले 2 ज्यादा है।

वर्ष 2021 में काेराेना के कारण गणना नहीं हाे पाई थी। शुभारम्भ राज्यमंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग ने किया। उन्हाेंने ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट काे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद पं. रामकिशन एवं अध्यक्षता काका रघुराज सिंह ने की। साेसायटी अध्यक्ष पूर्व वार्डन कृष्ण कुमार एडवोकेट ने कहा कि सरसों को बचाना मानव अस्तित्व को बचाना है।

गणना के जरिए जन मानस को प्रकृति से जोड़कर घना पक्षी विहार को बचाना है। केएनपी निदेशक मोहित गुप्ता ने आभार जताया। मुख्य समन्वयक अनन्त कुमार शर्मा ने बताया कि घना सहित आसपास के क्षेत्र को 17 जाेन में विभाजित कर गणना की गई। घना में 13 तथा बाहरी इलाकाें में 65 सारस पाए गए।

गणना में एसीएफ नारायणसिंह नरूका, डाॅ. राकेश साेलंकी, पूर्व डीएफओ पुष्पेन्द्र कटैला, पूर्व प्राचार्य डाॅ. एम.एम. त्रिगुणायत, रेंजर जतिन तथा महेश शर्मा सहित विभिन्न स्कूलाें के विद्यार्थियाें ने भाग लिया। उल्लेखनीय है कि घना केवलादेव नेचुरल साेसायटी द्वारा 1983 से सारस गणना कराई जा रही है। तब 258 संख्या थी। वर्ष 1990 में एक सारस ही देखी गई। जबकि 2013 में 160 तथा 2015 में 112 संख्या रही। वर्ष 2020 में 76 सारस मिलीं। वर्ष 2021 में काेराेना के कारण गणना नहीं हुई। इस साल यह संख्या में 78 पाई गई है।